( तर्ज - नागनी जुल्फोंपे दिल ० )
यह जमाना झुठाईका वार है ।
इसमें सच्चाभी
बनता गँवार है ॥टेक ॥
बूरी मायाके सँगमें फँसो ना कोई ।
यार ! इसने जमानेमें धुम कर दिई ।
करती जोगी - जपीको
बेजार है ॥१ ॥
गरचे सच्चे रहो तो मरो भूखसे ।
और झूठे बनो तो कटो नाकसे ।
कैसा करना ?
ना सूझे बिचार है ॥२ ॥
मैं तो आसा तजूँ यार ! इस लोककी
अब तो चाहूँ प्रभूकी दया सूखकी ।
कहता तुकड्या जो
भजता वह पार है || ३ ||
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